रोजाना की एक ढर्रे पर चल रही ज़िन्दगी में कुछ नया करना तो हम सबका हक है। है ना? साप्ताहिक क्लाइंट विज़िट, बिजनिस मीटिंग्स और प्रेजेंटेशंस ज़ाहिर है आपके दिमाग पर बोझ डालती हैं। ऐसे में सबसे बेहतर ऑप्शन है कि शहर की भाग-दौड़ से दूर कहीं एक छोटे सफर पर निकल जाएं। पर या तो हमें छुट्टी नहीं मिल पाती है या ऐसी कोई जगह समझ भी नहीं आती जहां एकदम शांति में समय गुज़ारा जा सके। मैं इस में और कुछ तो नहीं कर सकती पर मैनें दिल्ली के आस-पास वीकेंड गुजारने के लिए कुछ अच्छी जगहों की लिस्ट ज़रूर तैयार की है। ऐसे ही दूसरे शहरों की लिस्ट के लिए भी यही पर आपको जानकारी मिलेगी।
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200 किमी से कम दूरी की जगहें
नीमराणा (129 किमी)
राजस्थान के अलवर ज़िले में स्थित एक शांतिपूर्ण ऐतिहासिक शहर, नीमराणा , 15 वीं शताब्दी के शानदार नीमराणा फोर्ट पैलेस के लिए जाना जाता है। ये अब एक लक्ज़री होटल में बदल चुका है।
- कैसे पहुंचे: दिल्ली-जयपुर राजमार्ग (एनएच 48) पर होने के चलते, यहां दिल्ली से केवल 2 घंटे 30 मिनट की ड्राइव में आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- यात्रा का सबसे अच्छा समय: सर्दियां नीमराणा जाने का आदर्श समय है; पर क्योंकि, यह काफी हरा-भरा है, जो लोग झट से तरोताज़ा होना चाहते हैं, वे साल के किसी भी समय यहां आ सकते हैं।
- खर्च: प्रति व्यक्ति 3000 से 5000
सरिस्का टाइगर रिज़र्व (195 किमी)
अरवली पहाड़ियों में स्थित सरिस्का टाइगर रिज़र्व यहां आने वालों को अपने चट्टानों वाले परिदृश्य, सूखे पर्णपाती जंगलों और वन्य जीवों की भरमार के चलते बहुत पसंद आता है। रॉयल बंगाल बाघों के अलावा, ये 866 वर्ग किमी क्षेत्र का जंगल तेंदुए, भारतीय जैकल, चिंकारा, लंगूर और सांभर हिरण का भी घर है।
- कैसे पहुंचे: सरिस्का अलवर रेलवे स्टेशन से केवल 37 किमी दूर है, और इसके लिए दिल्ली से चलने वाली नियमित ट्रेनें हैं। चूंकि यह एनएच 48 के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, हमारा सुझाव होगा कि परेशानी से बचने के लिए आप पांच घंटे की कैब या टैक्सी यात्रा चुनें।
- यात्रा का सबसे अच्छा समय: हालांकि सरिस्का टाइगर रिज़र्व 1 अक्टूबर से 30 जून तक खुला रहता है, लेकिन ध्यान रहे कि गर्मी से बचने के लिए आप यहाँ अक्टूबर से मार्च के बीच आएं ।
- खर्च: प्रति व्यक्ति 4000 से 5000 (सफ़ारी शुल्क सहित)
300 किमी से कम दूरी की जगहें
मांडवा (232 किमी)
मांडवा (232 किमी): दिल्ली के पास एक और अनोखा वीकेंड स्पॉट मांडवा, राजस्थान के शेखावती क्षेत्र में एक आकर्षक जगह है। 18वी सदी में बसा मांडवा कई पुरानी हवेलियों और किलों के लिए जाना जाता है जिसके चलते इसे ओपन आर्ट गैलेरी का दर्जा दिया गया है। मांडवा की घुमावदार सड़कें और सीधे-सादे लोग, सांस्कृतिक महत्व की जगहों से प्यार करने वाले लोगों को खूब लुभाती हैं।
- कैसे पहुंचे: यह शहर एनएच 48 के माध्यम से दिल्ली से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है; आप राज्य संचालित बसों से या टैक्सी से यहां पंहुच सकते हैं। अगर आपकी ट्रेन से आने की योजना है, तो झुनझुनू रेलवे स्टेशन (27.3 किमी) मांडवा के सबसे नज़दीक है।
- यात्रा का सही समय: अक्टूबर से मार्च
- खर्च: प्रति व्यक्ति 2000 से 4000
लैंसडाउन (260 किमी)
यदि स्वास्थ्यप्रद वातावरण और दमकती पहाड़ियां में रहने और पंछी देखने और ट्रेकिंग करने की इच्छा है, तो उत्तराखंड में लैंसडाउन ज़रूर जाएँ। समुद्र तल से 1780 मीटर हिमालय की गोद में ये जगह खुली, शुद्ध हवा में नए विचारों से खुद को भरने के लिए सबसे सही ऑप्शन है।
- कैसे पहुंचे: लांसडाउन दिल्ली से लगभग 6.5 घंटे की ड्राइव पर है। कोटद्वार रेलवे स्टेशन (40 किमी) यहां से सबसे नज़दीक रेलवे स्चेशन है।
- यात्रा का सही समय: मार्च से नवंबर; बारिश के मौसम में यहां आने से बचें क्योंकि इस वक्त ढलानों पर फिसलन होती है।
- खर्च: प्रति व्यक्ति 3000 से 4000
परवानू (265 किमी)
हिमाचल के परवानू को अभी कम ही लोग जानते हैं, इसलिए वीकेंड मनाने के लिए ये भी एक शानदार जगह है। अपनी चीड़ की पहाड़ियों और फल बागानों से टिम्बर ट्रेल केबल कार की सवारी तक, इस शांत के हिल स्टेशन में सब कुछ कमाल का है।
- कैसे पहुंचे: परवानू चंडीगढ़ से 35 किमी दूर है और दिल्ली से लगभग 4 घंटे 30 मिनट की ड्राइव में पहुंचा जा सकता है। इस पहाड़ी शहर का निकटतम रेलवे स्टेशन कालका है।
- यात्रा का सही समय: मार्च से अक्टूबर
- खर्च: प्रति व्यक्ति 5 000 से 6000
400 किमी से कम दूरी की जगहें
पंगोट (310 किमी)
580 प्रजातियों के पक्षियों के लिए मशहूर, ये जगह बाघ, पक्षी निरीक्षक और ऑर्निथोलॉजिस्ट के लिए एक स्वर्ग है। उत्तराखंड के सुंदर कुमाऊं क्षेत्र में यह छोटा स्वर्ग उत्तर भारत के हिल स्टेशनों की लिस्ट में अक्सर भुला दिया जाता है। लेकिन ये जगह किसी भी पहाड़ी पर्यटक स्थल के कम नहीं है, और यहां आकर इसे देखेंगे तो आपको यकीन भी हो जाएगा। अगर आप कुछ अलग करना चाहते हैं, तो नैना पीक या चाईना पीक पर ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।
- कैसे पहुंचे: नैनीताल से केवल 17 किमी दूर, पंगोट तक दिल्ली से लगभग 8 घंटे की ड्राइव में एनएच 9 के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम (52 किमी) है।
- यात्रा का सही समय: मार्च-जून और सितंबर-नवंबर
- खर्च: प्रति व्यक्ति 5000 से 6000
सवाई माधोपुर (375 किमी)
महाराजा सवाई माधो सिंह प्रथम के नाम पर ये ज़िला, सवाई माधोपुर में यूनेस्को द्वारा लिस्टिड रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान और किला है। इसका ऊबड़-खाबड़ इलाका विंध्य और अरावली पहाड़ियों से घिरा हुआ है जो एडवैंचर और इतिहास प्रेमियों को काफ़ी पसंद आता है। लेकिन, संरक्षित क्षेत्र के अलावा यहां और भी बहुत कुछ है … यहां प्राचीन घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए कई श्रद्धालू और सैलानी आते हैं। आप राजीव गाँधी रीजनल म्यूजियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री में माधोपुर के सदियों पुराने अतीत के बारे में और अधिक जान सकते हैं।
- कैसे पहुंचे: सवाई माधोपुर रेलवे स्टेशन मुख्य दिल्ली-मुंबई रेलवे लाइन पर स्थित है। शहर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (152 किमी) है। सड़क से (एनएच 48 के माध्यम से), दिल्ली से माधोपुर पहुंचने में लगभग 8 घंटे लगते हैं।
- यात्रा का सही समय: नवंबर से मार्च
- खर्च: प्रति व्यक्ति 4000 से 5000
500 किमी से कम दूरी की जगहें
पुष्कर (415 किमी)
भारत में सबसे पुराने स्थानों में से एक, पुष्कर ब्रह्मांड के निर्माता – भगवान ब्रह्मा से जुड़ा हुआ है। मशहूर पवित्र झील के चारों ओर बने इस शहर में एक रहस्यमय आकर्षण है जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को आकर्षित करता है। इसके अलावा, ब्रह्मा मंदिर, पाप मोचिनी मंदिर, मैन महल और रंगजी मंदिर जैसे लोकप्रिय आकर्षण पर जाने के आलावा आप यहां गर्म हवा के गुब्बारों में उड़ने का आनंद भी ले सकते हैं।
- कैसे पहुंचे: राजस्थान के अजमेर ज़िले में स्थित पुष्कर एनएच 48 के माध्यम से दिल्ली से करीब 7 घंटे 30 मिनट की ड्राइव पर है। पुष्कर के निकटतम रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे अजमेर (14 किमी) और जयपुर (151 किमी) है।
- यात्रा का सबसे अच्छा समय: हालांकि यहां साल के किसी भी वक्त आ सकते हैं, सर्दियों में यहाँ का मौसम बेहद अच्छा रहता है। जो लोग प्रसिद्ध वार्षिक ऊंट मेले का हिस्सा बनना चाहते हैं, वे अक्टूबर या नवंबर में अपनी यात्रा की योजना बना सकते हैं।
- खर्च: प्रति व्यक्ति 5000 से 7000
धर्मशाला और मैक्ल्योड गंज (480 किमी)
ऊंचे धौलाधर पर्वतीय श्रृंखला के नीचे धर्मशाला दिल्ली के पास सबसे ज़्यादा जाने माने स्थानों में से है । इस शांतिपूर्ण शहर के ऊपरी भाग में एक और जगह है, मैक्ल्योडगंज जो दुनिया भर में दलाई लामा से जुड़े होने के कारण मशहूर है। यहां आप नमग्याल मठ पर प्रदर्शन के लिए रखे उत्तम कलाकृतियों को देखने का लुत्फ उठा सकते हैं; तिब्बती इंस्टीट्यूट ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स में कुछ अद्भुत कलाओं को देख सकते हैं ; चाय बागान की सैर कर सकते हैं, या थोड़े एडवेंचर के शौकीन हैं तो ट्रेकिंग, हाइकिंग और पैराग्लाइडिंग का मज़ा भी ले सकते हैं।
- कैसे पहुंचे: धर्मशाला तक पहुंचने का सबसे अच्छा और आसान तरीका हवाईजहाज है क्योंकि कंगड़ा हवाई अड्डा यहाँ से केवल 15 किमी दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट (86 किमी) में है। जो लोग घुमावदार सड़क परयात्रा का आनंद लेना चाहते हैं, वे यहां एनएच 44 के माध्यम से आ सकते हैं।
- यात्रा का सही समय: मार्च से जुलाई
- खर्च: प्रति व्यक्ति 5000 से 7000
औली (500 किमी)
उत्तराखंड में इस पहाड़ी रिज़ॉर्ट की खूबसूरती मौसम के साथ बदलती है। गर्मियों में सेब बागान, देवदार और ओक के पेड़ होते हैं तो वहीं सर्दियों में बर्फ़ की चादर ढकी होती है जो इसे भारत के सबसे जानेमाने स्की स्थलों में से एक बनाती है। यहाँ साहसिक और उत्साही लोगों के लिए 2.5 मील (4 किमी) केबल कार और चेयरलिफ्ट भी है।
- कैसे पहुंचे: देहरादून में जॉली ग्रांट एयरपोर्ट (275 किमी) औली का निकटतम हवाई अड्डा है। औली स्की रिज़ॉर्ट का निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन (260 किमी) है। औली उत्तराखंड और पड़ोसी राज्यों के सभी प्रमुख स्थलों के साथ मोटर वाहनों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
- यात्रा का सबसे अच्छा समय: मानसून को छोड़कर पूरे साल।
- खर्च: प्रति व्यक्ति 6000 से 8000
600 किमी से कम दूरी की जगहें
बीर बिलिंग (516 किमी)
हिमाचल प्रदेश में बीर और बिलिंग के जुड़वां नगर हर साल आयोजित पैराग्लाइडिंग चैंपियनशिप के चलते पैराग्लाइडिंक के शौकीन लोगों के बीच बहुत मशहूर है। यह जगह कमज़ोर दिल वालों के लिए नहीं है क्योंकि यहां आना और खेल की कोशिश नहीं करना पाप है। चाय के टेरेस, घने जंगल, तिब्बती बस्तियां और चारो ओर बर्फ़ से ढकी हुई धौलाधर चोटियों की खूबसूरती को पैराग्लाइडिंग के वक्त ही अच्छे से देखा जा सकता है।
- कैसे पहुंचे: दिल्ली से बीर बिलिंग तक नियमित एचआरटीसी बसें हैं जो एनएच 44 के माध्यम से पहुंचने में करीब 10 घंटे लेती हैं। निकटतम हवाई अड्डा कंगड़ा हवाई अड्डा (67 किमी) है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट (142 किमी) है।
- यात्रा का सबसे अच्छा समय: साल में कभी भी
- खर्च: 7000 से से 9000
कासोल (520 किमी)
युवाओं के बीच तेज़ी से मशहूर हो रहा ये नाम, कसोल पार्वती घाटी की प्राचीन सुंदरता के अलावा अपनी हिप्पी संस्कृति, इज़राइली निवासियों और चिक कैफेज़ के लिए जाना जाता है। यह मालाना, तोश और खिड़गंगा जाने वाले ट्रेकर्स के लिए बेस कैंप के रूप में भी काम करता है।
- कैसे पहुंचे: कासोल पहुंचने का सबसे आसान तरीका सड़क से है क्योंकि कोई सीधी रेल या हवाई कनेक्टिविटी नहीं है। हालांकि, भंटार या कुल्लू-मनाली हवाई अड्डा लगभग 31 किमी दूर है, जहां के लिए सभी प्रमुख भारतीय शहरों से नियमित उड़ानें है। पठानकोट (295 किमी) कासोल के नजदीकी रेलवे स्टेशन है।
- यात्रा का सही समय: मार्च से जून
- खर्च: 5000 से 6000
तो, अगले लंबे वीकेंड पर आप कहां जाना पसंद करेगें? हमें नीचे कमेंट्स में बताएं। आप दिल्ली के पास ऐसे स्थानों को भी सुझाव दे सकते हैं जिन्हें हम यहां भूल गए हों। फिल्हाल अलविदा।
This post was last modified on 28-Aug-2023